नवरात्रि 2 बार क्यों मनाई जाती है, नौ देवी स्वरूप और पूजा-विधि

नवरात्रि 2025: नवरात्रि 2 बार क्यों मनाई जाती है, नवरात्रियों का महत्व, कथा, नौ देवी स्वरूप और पूजा-विधि

नवरात्रि क्यों मनाई जाती है?

भारत एक ऐसा देश है जहाँ त्योहार केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि संस्कृति, सामाजिक मेल-जोल और आध्यात्मिक साधना का भी प्रतीक हैं।
नवरात्रि का अर्थ है – नौ रातें, और यह पर्व माँ दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की पूजा के लिए समर्पित है।

इस वर्ष शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2025) की शुरुआत 22 सितंबर, 2025 से होने जा रही है। यह पर्व मुख्य रूप से मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, जो भी साधक पूरे विधि-विधान से नवरात्र (Navratri 2025) का व्रत और माता रानी की पूजा-अर्चना करता है, उसके सभी प्रकार के दुख-दर्द से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही मां दुर्गा अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं भी पूरी करती हैं।

यह है पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, साल में दो बार नवरात्र मनाए जाने का संबंध भगवान श्रीराम से माना जाता है। जिसके अनुसार, जब भगवान श्रीराम ने रावण से युद्ध किया और विजय प्राप्त की, तो वह विजयी होने के बाद मां का आशीर्वाद लेने के लिए नवरात्र तक की प्रतीक्षा नहीं करना चाहते थे।

तब उन्होंने माता रानी के निमित्त विशेष पूजा का आयोजन किया। जिसके बाद से ही नवरात्र का पर्व दो बार मनाया जाने लगा। जहां शारदीय नवरात्र धर्म की अधर्म पर जीत का प्रतीक है। वहीं चैत्र नवरात्रि के नवमी पर राम जी के जन्मोत्सव को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है। 

नवरात्रि हमें यह संदेश देती है कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएँ, यदि हम शक्ति, संयम और भक्ति के साथ कार्य करें तो हर बाधा को पार किया जा सकता है।


साल में चार नवरात्रियाँ कब-कब आती हैं?

हिंदू पंचांग के अनुसार साल में चार नवरात्रियाँ आती हैं:

  1. चैत्र नवरात्रि (मार्च–अप्रैल) – वसंत ऋतु

  2. शारदीय नवरात्रि (सितंबर–अक्टूबर) – शरद ऋतु

  3. माघ नवरात्रि (जनवरी–फरवरी) – गुप्त नवरात्रि

  4. आषाढ़ नवरात्रि (जून–जुलाई) – गुप्त नवरात्रि

चैत्र और शारदीय नवरात्रि पूरे समाज द्वारा बड़े पैमाने पर मनाई जाती हैं, जबकि माघ और आषाढ़ की नवरात्रियाँ विशेष साधकों और तांत्रिक उपासकों के लिए होती हैं।


चैत्र नवरात्रि 2025: इतिहास, महत्व और पूजा-विधि

समय

चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक (मार्च–अप्रैल)

कथा

चैत्र नवरात्रि के समय देवी दुर्गा की उपासना करने से जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह आता है। इस समय भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था, इसलिए इसका अंत रामनवमी के साथ होता है।

महत्व

  • नए वर्ष की शुरुआत का प्रतीक

  • वसंत ऋतु में स्वास्थ्य और ऊर्जा बनाए रखने का अवसर

  • भक्ति, साधना और नए आरंभ की प्रेरणा

पूजा-विधि

  • प्रतिपदा को घटस्थापना (कलश स्थापना)

  • नौ दिनों तक देवी के नौ रूपों की पूजा

  • रामनवमी को हवन और कन्या पूजन


शारदीय नवरात्रि 2025: कथा, महत्व और दुर्गा पूजा

समय

आश्विन मास की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक (सितंबर–अक्टूबर)

कथा

महिषासुर नामक राक्षस ने देवताओं को परेशान किया। तब देवी दुर्गा ने नौ दिनों तक युद्ध कर दसवें दिन उसका वध किया। साथ ही भगवान राम ने रावण वध से पहले दुर्गा की उपासना की।

महत्व

  • शक्ति की पूजा और बुराई पर अच्छाई की विजय

  • भव्य दुर्गा पूजा और रामलीला/दशहरा के माध्यम से सामाजिक एकता

पूजा-विधि

  • घटस्थापना और अखंड ज्योति

  • दुर्गा सप्तशती का पाठ

  • आठवें/नवमें दिन कन्या पूजन

  • बंगाल में भव्य पंडालों में पूजा और सांस्कृतिक कार्यक्रम


माघ नवरात्रि 2025: गुप्त नवरात्रि का रहस्य

समय

माघ मास की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक (जनवरी–फरवरी)

कथा

माघ नवरात्रि विशेष साधना और मंत्र-तपस्या के लिए मानी जाती है। इस समय की गई साधना से देवी शीघ्र प्रसन्न होती हैं और साधक को सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।

पूजा-विधि

  • साधक विशेष जप, हवन और साधना करते हैं

  • आम लोग भी दुर्गा पूजा और उपवास कर सकते हैं


आषाढ़ नवरात्रि 2025: साधना और तांत्रिक महत्व

समय

आषाढ़ मास की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक (जून–जुलाई)

कथा

आषाढ़ नवरात्रि तांत्रिक साधना और शक्ति अर्जन के लिए महत्वपूर्ण है।

पूजा-विधि

  • साधक देवी के मंत्र-जप और तांत्रिक अनुष्ठान करते हैं

  • आमजन साधारण पूजा और व्रत कर सकते हैं


नवरात्रि के नौ दिन और नौ देवी स्वरूप

  1. प्रथम दिन: शैलपुत्री – स्थिरता और साहस का प्रतीक

  2. द्वितीय दिन: ब्रह्मचारिणी – संयम और तपस्या

  3. तृतीय दिन: चंद्रघंटा – वीरता और शांति

  4. चतुर्थ दिन: कूष्मांडा – सृष्टि और ऊर्जा

  5. पंचम दिन: स्कंदमाता – मातृत्व और करुणा

  6. षष्ठम दिन: कात्यायनी – साहस और शक्ति

  7. सप्तम दिन: कालरात्रि – भय और अज्ञान का नाश

  8. अष्टम दिन: महागौरी – पवित्रता और शुद्धता

  9. नवम दिन: सिद्धिदात्री – सिद्धियाँ और आशीर्वाद


नवरात्रि व्रत-नियम और पूजा विधि

  • उपवास से शरीर शुद्ध और मन एकाग्र होता है

  • फलाहार, दूध, सूखे मेवे का सेवन

  • अष्टमी/नवमी को कन्या पूजन

  • कलश स्थापना और हवन


भारत में नवरात्रि की क्षेत्रीय परंपराएँ

  • गुजरात: गरबा और डांडिया नृत्य

  • पश्चिम बंगाल: भव्य दुर्गा पूजा

  • उत्तर भारत: रामलीला और दशहरा

  • दक्षिण भारत: गोम्बे हब्बा (गुड़िया सजाना)


नवरात्रि का आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व

  • बुराई पर अच्छाई की विजय

  • आत्मबल, संयम और धैर्य का संदेश

  • स्त्री शक्ति का सम्मान

  • समाज और संस्कृति को जोड़ने का अवसर


नवरात्रि से मिलने वाली जीवन शिक्षाएँ

  • अच्छाई हमेशा जीतती है

  • जीवन में आत्मबल और संयम आवश्यक

  • सामाजिक एकता और भक्ति जीवन को सुंदर बनाती है


निष्कर्ष

साल में चार नवरात्रियाँ आती हैं। चैत्र और शारदीय नवरात्रि बड़े उत्सव के रूप में मनाई जाती हैं, जबकि माघ और आषाढ़ गुप्त नवरात्रियाँ साधकों के लिए।
नवरात्रि हमें यह सिखाती है कि सत्य, भक्ति और शक्ति के साथ जीवन जीने पर कोई भी अंधकार स्थायी नहीं रह सकता।

FREE!!! Registration