भारत की स्पेस डिप्लोमैसी, 6 देशों के लिए खुद के खर्च पर सैटेलाइट लॉन्च करेगा

नई दिल्ली. भारत स्पेस डिप्लोमैसी करने जा रहा है। ये पहली बार है, जब सरकार अपने 6 पड़ोसी देशों के लिए 450 करोड़ रु. के एक सैटेलाइट को लॉन्च करने की तैयारी कर रही है। 5 मई को इसरो 2230 किलो के साउथ एशिया सैटेलाइट (GSAT-9) की लॉन्चिंग करेगा। इस सैटेलाइट से भारत के पड़ोसी देशों को एक-दूसरे के साथ कम्युनिकेशन फैसिलिटी मिलेगी। भारत का अपने पड़ोसियों को गिफ्ट...

- स्पेस में अपना एक अलग मुकाम बना चुका भारत, साउथ एशिया सैटेलाइट के जरिए अपने पड़ोसियों को गिफ्ट में देगा।
- विदेश मंत्रालय के स्पोक्सपर्सन गोपाल बागले मुताबिक, "भारत अपने पड़ोसियों के लिए अपना दिल खोल रहा है। इस योजना में किसी अन्य देश का कोई भी खर्च नहीं होगा। अफगानिस्तान, नेपाल, भूटान, मालदीव्ज, बांग्लादेश और श्रीलंका ने मिशन का हिस्सा बनने की मंजूरी दे दी है। पाकिस्तान को इससे बाहर रखा गया है।"
- "इस सैटेलाइट का स्पेस में फिलहाल कोई सानी नहीं है। स्पेस में सैटेलाइट भेजने वाली जितनी रीजनल एजेंसियां हैं, उनका मकसद फायदा कमाना है।"
- दरअसल इस योजना को नरेंद्र मोदी के एम्बीशस प्लान के तौर पर देखा जा रहा है। इससे इसरो 12 साल की लाइफ वाले सैटेलाइट बनाएगा और इसमें हिस्सा लेने वाले देशों को 1500 मिलियन डॉलर देने होंगे।
- इस प्रोजेक्ट से जुड़े और आईआईटीयन प्रशांत अग्रवाल ने बताया, "मोदी ने असल में अपने नारे 'सब का साथ-सब का विकास' को भारत के पड़ोस तक विस्तार दे दिया है, ताकि साउथ एशिया में गरीबों की जरूरतों को पूरा किया जा सके।"
क्या है नॉटी ब्वॉय?
- 5 मई को श्रीहरिकोटा आइलैंड से इसरो का नॉटी ब्वॉय अपने 11th मिशन पर निकलेगा। इसे जीएसएलवी को लॉन्च किया जाएगा।
- 412 टन वजनी और करीब 50 मीटर लंबा यह रॉकेट अपने साथ 'साउथ एशिया सैटेलाइट' लेकर जाएगा। इसरो इसे GSAT-9 कहना पसंद कर रहा है।
- 235 करोड़ की लागत से 3 साल में 2230 किलो का यह सैटेलाइट बनकर तैयार हुआ। ये स्पेस बेस्ड टेक्नोलॉजी के बेहतर इस्तेमाल में मदद करेगा।
सरकार ने क्या कहा?
- सरकार के मुताबिक, "हर देश को अपना इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप करना होगा। भारत इस मामले में मदद और जानकारी देने के लिए तैयार है।"
- ये सैटेलाइट टेलीकम्युनिकेशन और ब्रॉडकास्टिंग से जुड़ी सर्विसेज जैसे- टीवी, डीटीएच, वीसैट, टेलीएजुकेशन, टेलीमेडिसिन और डिजास्टर मैनेजमेंट को बेहतर करेगा।
- इस सैटेलाइट में भागीदार देशों के बीच हॉटलाइन मुहैया करवाने की भी कैपेबिलिटी है। चूंकि यह क्षेत्र भूकंप, साइक्लोन, बाढ़, सुनामी के लिहाज से सेंसिटिव है, लिहाजा यह आपदा के वक्त पर बातचीत कराने में अहम भूमिका निभाएगा।
FREE!!! Registration