Zee जानकारी : ब्रिटेन और अमेरिका से नहीं अब यूरोप को भारत से उम्मीदें

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी - जर्मनी के बाद स्पेन, रूस और फ्रांस की यात्रा पर हैं। 6 दिनों का ये दौरा भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है। अमेरिका में राष्ट्रपति के तौर पर डोनल्ड ट्रंप का चुना जाना, और ब्रिटेन का यूरोप से अलग होना महत्वपूर्ण कूटनीतिक घटनाएं हैं। यूरोप अब ब्रिटेन और अमेरिका से बहुत ज्यादा उम्मीदें नहीं लगा सकता। इसलिए वो एशिया की तरफ देख रहा है। जहां भारत उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जर्मनी दौरे के दौरान क्या-क्या हुआ ये हम आपको बताएंगे। लेकिन पहले आपको यूरोप के कूटनीतिक ट्रिपल तलाक के बारे में पता होना चाहिए। यूरोप पहला कूटनीतिक तलाक अमेरिका को दे सकता है। क्योंकि अमेरिका के साथ ज्यादातर यूरोपीय देशों, और विशेषतौर पर जर्मनी के संबंधों में खटास आने लगी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जर्मनी पहुंचने से एक दिन पहले ही जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने एक बड़ा बयान दिया था। मर्केल ने कहा था कि वो वक्त चला गया है जब हम दूसरों पर भरोसा कर सकते थे यूरोप को अब अपना भविष्य खुद अपने हाथों में लेना होगा। ऐसा माना जा रहा है कि मर्केल का ये बयान डोनल्ड ट्रंप और Brexit के संबंध में था। यानी यूरोप अमेरिका को और फिर ब्रिटेन को कूटनीतिक तलाक देना चाहता है। और तीसरा कूटनीतिक तलाक चीन को दिया जा सकता है। हालांकि ये बहुत मुश्किल है।

 

चीन की विस्तारवादी नीति से दुनिया के ज्यादातर देश परेशान हैं और जर्मनी भी उनमें से एक है। लेकिन चीन को नज़र अंदाज़ करना आसान नहीं है, क्योंकि चीन एक बड़ी आर्थिक ताकत बन चुका है। चीन बहुत आक्रामक अंदाज़ में व्यापार करता है। इसलिए ज़्यादातर यूरोपीय देश उसकी One Belt One Road योजना को भी शक की नज़र से देख रहे हैं।

ऐसे में एशिया में सिर्फ भारत ही एक ऐसा देश है जो यूरोप की आर्थिक तरक्की का इंजन बन सकता है। इसलिए पूरी दुनिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यूरोप दौरे को बहुत ध्यान से देख रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने यूरोप दौरे की शुरुआत जर्मनी से की। इस दौरान दोनों देशों के बीच कई समझौते हुए हैं। जर्मनी भारत को तकनीक के क्षेत्र में मदद देगा। जबकि भारत, जर्मन कंपनियों की मदद करने के लिए एक Fast track mechanism बनाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जर्मनी की चांसलर एजेंला मर्केल ने, Brexit के प्रभावों पर भी चर्चा की  और दोनों के बीच  आतंकवाद के मुद्दे पर भी बातचीत हुई।

जर्मनी Renewable Energy के क्षेत्र में भी भारत की मदद करेगा। भारत 2022 तक 175 गीगावाट बिजली का उत्पादन Renewable Energy के ज़रिए करना चाहता है। इसके अलावा भारत और जर्मनी स्वास्थ्य और दवाओं के क्षेत्र में भी एक दूसरे को सहयोग देंगे।

उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में भारत को स्मार्ट सिटी, डिजिटल इंडिया और स्किल इंडिया जैसे कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने में भी जर्मनी की मदद मिल पाएगी। जर्मनी मेक इन इंडिया कार्यक्रम में भी महत्वपूर्ण साझेदार है।

जर्मनी के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अगला पड़ाव, स्पेन है। 3 दशकों में पहली बार भारत का कोई प्रधानमंत्री स्पेन का दौरा कर रहा है। जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात स्पेन के राष्ट्रपति से होगी। इसके अलावा प्रधानमंत्री स्पेन के राजा King Felipe VI से भी मिलेंगे। इसके बाद प्रधानमंत्री India-Spain CEOs Forum में हिस्सा लेंगे। विदेश मंत्रालय के मुताबिक भारत और स्पेन के बीच 5.22 बिलियन डॉलर्स का कारोबार होता है। जिसमे से भारत का एक्सपोर्ट 3.83 बिलियन डॉलर्स है जबकि स्पेन भारत को 1.39 बिलियन डॉलर्स का एक्सपोर्ट करता है। यानी स्पेन के साथ भारत का व्यापार Surplus में है।

भारत में करीब 200 Spanish कंपनियों के दफ्तर हैं जबकि भारत की 40 कंपनियां स्पेन में कारोबार करती हैं। स्पेन में योग और आयुर्वेद बहुत लोकप्रिय हैं और स्पेन में भारतीय समुदाय  अप्रवासियों का तीसरा सबसे बड़ा समुदाय है। भारत और स्पेन के बीच Renewable Energy, साइबर सिक्योरिटी, टूरिज्म, रेलवे और स्मार्ट सिटी परियोजनाओं को लेकर महत्वपूर्ण समझौते हो सकते हैं।

स्पेन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस पहुंचेंगे। प्रधानमंत्री मोदी और रूस के राष्ट्रपति पुतिन के बीच 1 जून को रूस के St. Petersburg में मुलाकात होगी। प्रधानमंत्री 18th India-Russia Annual Summit में भी हिस्सा लेंगे। इसके अलावा पुतिन और मोदी दोनों देशों के CEOs से बातचीत करेंगे। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी  St. Petersburg International Economic Forum यानी SPIEF को भी संबोधित करेंगे। भारत को इस बार SPIEF में Guest Country के तौर पर बुलाया गया है।

भारत और रूस इस साल अपने कूटनीतिक संबंधों की 70वीं सालगिरह भी मना रहे हैं। भारत इन दिनों अमेरिका के ज़्यादा करीब है, जिसे लेकर रूस खुश नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी का ये दौरा दोनों देशों के बीच, गलतफहमियां दूर करने का काम करेगा। रूस के बाद आखिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस पहुंचेंगे और वहां राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रों से मुलाकात करेंगे।

आपको बता दें कि फ्रांस भारत में 9वां सबसे बड़ा निवेशक है। फ्रांस भारत के साथ रक्षा, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी इमेनुअल मैक्रों के साथ, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार और सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर चर्चा करेंगे।

पाकिस्तान को झटका, अमेरिका ने की वीजा में कटौती

अमेरिका द्वारा भारतीयों को दिए जाने वाले  non-immigrant visas में 28 प्रतिशत की वृद्धि हई है, जबकि पाकिस्तान को दिए जाने वाले वीज़ा में 40 प्रतिशत की कमी आई है। पिछले साल ओबामा के कार्यकाल में मार्च और अप्रैल के महीने में 72,082 भारतीयों को अमेरिका का वीज़ा मिला था। जबकि इस साल मार्च महीने में 87,049 भारतीयों को और अप्रैल के महीने में 97,925 वीज़ा दिए गए।

वर्ष 2016 में कुल 78 हज़ार 637 पाकिस्तानियों को वीज़ा मिला था, जबकि इस बार मार्च और अप्रैल के महीने में सिर्फ 3,925 और 3975 पाकिस्तानियों को वीज़ा मिल पाया है। 

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